नवाबों का शहर हैदराबाद कोरोना के मामले में बारूद के ढेर पर बैठा है। तेलंगाना के 34 जिलों की तीन करोड़ से ज्यादा की आबादी के लिए यहां तीन दिन पहले तक सिर्फ एक कोविड हॉस्पिटल था। इस हॉस्पिटल में डॉक्टरों की तो कमी है ही, पैरामेडिकल स्टाफ भी न के बराबर है। राजधानी हैदराबाद के इस गांधी अस्पताल में अब तक 110 डॉक्टर कोरोना से संक्रमित भी हो चुके हैं। यहां के डॉक्टर खुद बताते हैं कि तेलंगाना सरकार ने कोरोना मरीजों और डॉक्टरों को मरने के लिए छोड़ दिया है।
हैदराबाद की नीना पिछले चार दिन से गांधी अस्पताल के सामने सड़क पर गंदगी में बैठी हैं। इनकी 64 वर्षीय मां कोरोना पॉजिटिव हैं और बीते 13 दिन से अस्पताल में एडमिट हैं। वह बताती हैं कि हमारे पास अपनी मां की कोई खबर नहीं है। हमें नहीं पता कि वह अंदर जिंदा भी हैं या मर चुकी हैं।
नीना कहती हैं कि पहले हम मां को चेस्ट हॉस्पिटल में ले गए थे, लेकिन वहां से हमें गांधी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। यहां मां को एडमिट तो किया गया लेकिन अब अंदर क्या हो रहा है, कोई नहीं बताता।
मोहसिन भी कुछ ऐसी ही कहानी बता रहे हैं। वे कहते हैं, ‘13 दिन हो गए हैं, मां को देखा नहीं है। आखिरी बार जब फोन पर बात हुई तो मां ने बस यह कहा था कि एक बार अंदर आकर मुझे देख ले।’हॉस्पिटल के बाहर मिले एक अन्य शख्स बताते हैं कि उनकी मां कोरोना संक्रमित है। परिवारवालों में भी वैसे ही लक्षण दिख रहे हैं, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट में कई बार बोलने के बाद भी घरवालों का कोरोना टेस्ट नहीं हो रहा है। वह बताते हैं कि कायदे से तो हम लोगों को क्वारैंटाइन होना चाहिए लेकिन हैदराबाद में तो सब को बम बनाकर सड़कों पर छोड़ रखा है।
गांधी अस्पताल के बाहर बैठे इन लोगों की तकलीफों का कारण डॉक्टर या हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन नहीं बल्कि राज्य सरकार है। यहां के डॉक्टरों का तो यही कहना है। डॉक्टर बहुत कम है, पैरामेडिकल स्टॉफ न के बराबर, 12-12 घंटे काम कर रहे हैं।
हेल्थ रिफॉर्मिग डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. महेश बताते हैं, "यहां सबसे बड़ी दिक्कत है कि हमारे पास मैनपावर नहीं है। डॉक्टर 12-12 घंटे की डयूटी कर रहे हैं। काम का दबाव भी है और तनाव भी। पैरामेडिकल स्टाफ तो न के बराबर है। तेलंगाना की जनता के लिए यहां कुल 450 डॉक्टर हैं, जिनमें से 110 कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। कुछ सीनियर डॉक्टर्स भी अब 20 जून से शुरू होने वाले पीजी एग्जाम को कंडक्ट करवाने में लगे हुए हैं। कुल मिलाकर यहां हालत खराब हो रहे हैं।
सिर्फ 150 हॉस्पिटल बेड बढ़े, मरीजों के मुकाबले यह बहुत कम है
गांधी अस्पताल की डॉ जैनब बताती हैं, "हाल ही में एक हजार बैड के इस अस्पताल की सातवीं और तीसरी मंजिल को आईसीयू में कन्वर्ट किया गया है। एक अन्य बिल्डिंग को भी आईसीयू में बदल दिया गया है। ग्राउंड फ्लोर में ऑक्सीजन पोर्ट्स लग रहे हैं। इस तरह करीब 150 अतिरिक्त बैड लगाए गए हैं। लेकिन कोरोना मरीजों की बढ़ रही तादाद के सामने यह इंतजाम कुछ भी नहीं है, क्योंकि यहां डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या उतनी ही है, जितनी पहले थी।
मुख्यमंत्री के बेटे की साख बनी रहे, इसलिए हैदराबाद के आंकड़े छिपाए जा रहे
नाम न बताने की शर्त पर हॉस्पिटल के डॉक्टर कहते हैं कि तेलंगाना सरकार कोविड को लेकर सही आंकड़े पेश नहीं कर रही है। खासकर हैदराबाद शहर के आंकड़ें छिपाए जा रहे हैं। यह इसलिए क्योंकि हैदराबाद को चलाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के बेटे और आईटी मंत्री की है। उनके राजनीतिक करियर के लिए हैदराबाद की जनता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसका उदाहरण हम इससे समझ सकते हैं कि राज्य सरकार हैदराबाद के कोरोना मरीजों का डेटा रिलीज न करके ग्रेटर हैदराबाद के नाम से डेटा बताती है जिसमें तीन जिले और आते हैं और इनमें भी सही आंकड़े नहीं होते हैं।
लोगों को अपने परिजनकी जानकारी नहीं मिलती, डेड बॉडी एक्सचेंज हो रही
गांधी अस्पताल प्रवासियों और आम लोगों की मदद कर रही हैदराबाद की खालिदा प्रवीनबताती हैं कि आलम यह है कि बीते दस दिन में गांधी अस्पताल में कई मर्तबा डेड बॉडीज एक्सेंच हो चुकी हैं। किसी की डेड बॉडी किसी और को दे दी जाती है। दो मामले ऐसे आए हैं कि लोगों ने खुद गांधी अस्पताल में अपने परिजन को भर्ती करवाया, लेकिन वह जिंदा है या मर गया और मर गया है तो उसकी डेड बॉडी कहां है, इसकी कोई खबर नहीं है। खालिदा के मुताबिक, इसकी एक वजह यही है कि यहां स्टॉफ नहीं है और डॉक्टरों पर काम का दबाव और तनाव दोनों ही बहुत ज्यादा है।
सरकार कहती है, हर दिन 8-10 मरीज मर रहे, जबकि इनकी संख्या 25 से ज्यादा है: डॉक्टर
हैदराबाद के गांधी अस्पताल की एक पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर ने तो जो बताया वह चौकाने वाला नहीं बल्कि डराने वाला है। वे बताती हैं, "हैदराबाद का क्या होगा यह कुछ ही दिनों में पता चल जाएगा। कोरोना मरीजों की गिनती और मरने वालों की तादाद का गलत आंकड़ा दिया जा रहा है। मीडिया को बताया जा रहा है कि हर दिन 8 से 10 लोग कोरोना से मर रहे हैं जबकि मरने वालों की तादाद हर दिन 25 से ज्यादा है। कोविड रिपोर्ट आने से पहले जो लोग मर रहे हैं उनका तो आंकड़ा भी नहीं है।"
हेल्थ डायरेक्टर का पूरे राज्य में 30 कोविड सेंटर होने का दावा
पब्लिक हेल्थ डायरेक्टर श्रीनिवास राव बताते हैं कि शुरूआत में कोरोना के ग्रामीण इलाकों से केस नहीं आ रहे थे इसलिए सिर्फ गांधी अस्पताल में ही कोरोना ट्रीटमेंट सेंटर बनाया गया था। लेकिन जैसे-जैसे केस बढ़ते गए हमने जिलों में कोरोना टेस्ट करने शुरू कर दिए। कोरोना के लक्षण दिखने पर लोगों को घरों में ही क्वारैंटाइन किया जा रहा है। पूरे राज्य में कोविड ट्रीटमेंट के लिए 30 सेंटर बनाए गए हैं।
हालांकि गांधी अस्पताल के डॉ. लोहित तजूटा इस दावे को खारिज करते हैं। वे कहते हैं कि सरकार ने हर जिले में कोविड ट्रीटमेंट सेंटर बनाने की हमारी मांग मानी तो थी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। हालत वही है। आज भी हर जिले से मरीज गांधी अस्पताल ही आ रहे हैं।
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