कोविड-19 स्वस्थ लोगों में डायबिटीज की वजह भी बन सकता है और जो पहले से डायबिटीज से जूझ रहे हैं उनकी हालत और बिगाड़ सकता है। दुनियाभर के 17 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम के पैनल ने दुनियाभर के कई मामलों पर रिसर्च के बादये बात कही है। अब तक हुए क्लीनिकल ट्रायल में कोविड-19 और डायबिटीज के बीच ये महत्वपूर्णकनेक्शन ढूंढ़ागया है।

  • न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्चके मुताबिक, डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों में कोविड-19 होने पर हालत और भी नाजुक हो जाती है, ऐसे मरीजों की मौत का खतरा 30 फीसदी तक बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठनने हाल ही में कहा था कि ऐसे लोग जो पहले से हृदय रोग, अस्थमा और डायबिटीज से जूझ रहे हैं वो हाई रिस्क जोन में हैं। इन्हें कोरोना के संक्रमण का खतरा सबसेज्यादा है। (रिपोर्ट को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है)

ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म से जुड़े अंगों पर कोरोना का असर
शोधकर्ताओं का कहना है कि हालिया शोध बताते हैं कि जब कोरोनावायरस शरीर में ACE-2 रिसेप्टर को जकड़कर संक्रमण फैलाता है तो सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं जकड़ता बल्कि, ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में शामिल ऊतकों और अंगों को भी प्रभावित करताहै। इसमें पेंक्रियाज, छोटी आंत, टिश्यु, लिवर और किडनी शामिल हैं।

डायबिटीजमरीजों को अलर्ट रहने की सलाह
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोनावायरस अपना संक्रमण फैलाने के बाद शरीर के काम करने के तरीके में बाधा पैदा करता है। ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया में रुकावट डालता है और मरीज की हालत नाजुक होने लगती है, इसलिए जो डायबिटीज के मरीज हैं उन्हें अलर्ट रहने की जरूरत है।

कोरोना कैसे ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म बदल रहा है, यह स्पष्ट नहीं
पैनल में शामिल किंग्स कॉलेज लंदन में मेटाबॉलिक सर्जरी के प्रोफेसर फ्रेंसेस्को रूबिनो के मुताबिक, डायबिटीज सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है। इस समय हम कोरोना महामारी और डायबिटीज के बीच कनेक्शन को समझ रहे हैं। संक्रमण के बाद कोरोना ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को कैसे बदलता है, यह अभीस्पष्ट नहीं हो पाया है।

क्या कहतीहै आईसीएमआर एडवायजरी

  • इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर)की एडवाइजरी के मुताबिक,आमतौर पर जिन रोगियों का ब्लड शुगर अनियंत्रित रहता है उनमें हर तरह का संक्रमण होने की आशंका ज्यादा रहती है।
  • ऐसे में खानपान का विशेष ध्यान रखें और रूटीन में एक्सरसाइज जरूर शामिल करें। डायबिटीज से जुड़ी दवाएं समय पर लें ताकि ब्लड शुगर कंट्रोल में रहे। ऐसी रोगियों में संक्रमण होने पर अधिक देखभाल की जरूरत होती है, थोड़ी-थोड़ी देर में उनका ब्लड शुगर मॉनिटर करना पड़ता है।

4 पॉइंट से समझिए कोविड-19 और डायबिटीज का कनेक्शन

  • 1. स्वस्थ लोगों में ऐसे बढ़ता है खतरा: एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर के डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश केसवानी का कहना है कि कोविड-19 का वायरस सीधे पेंक्रियाज में मौजूद इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है। बीटा कोशिकाओं के डैमेज होने पर मरीजों में इंसुलिन बनने की कैपेसिटी कम हो जाएगी। ऐसे में जो स्वस्थ हैं उनमें भी नई डायबिटीज का खतरा बढ़ेगा।
  • 2.टाइप-1 डायबिटीज भी हो सकतीहै: कई बार संक्रमण ज्यादा गंभीर होता है, ऐसी स्थिति में टाइप-1 डायबिटीज या डायबिटिक कीटोएसिडोसिस भी हो सकता है। डायबिटिक कीटोएसिडोसिस उस स्थिति को कहते हैं जब इंसुलिन की बहुत अधिक कमी के कारण शरीर में शुगर का लेवल ज्यादा बढ़ जाता है।
  • 3. स्ट्रेस भी एक फैक्टर है: अगर किसी में डायबिटीज की शुरुआत हुई है और उसे नहीं मालूम है, इस दौरान वायरस का संक्रमण होता है तो स्ट्रेस के कारण भी नई डाइबिटीज विकसित हो सकती है।
  • इसलिए डायबिटिक लोगों कोखतरा ज्यादा: डायबिटीज के रोगियों में हर संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे रोगियों में इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं (लिम्फोसाइट्स, न्यूट्रोफिल्स) की कार्य क्षमता कम हो जाती है। इस वजह से शरीर में एंटीबॉडीज कम बनती हैं। बीमारी से लड़ने की ताकत कम होने के कारण ये बाहरी चीजों (वायरस, बैक्टीरिया) को खत्म नहीं कर पाती नतीजा जान का जोखिम बढ़ता जाता है।

एक्सपर्ट सलाह: : डाइट में प्रोटीन लें, ब्लड शुगर चेक करें और हर घंटे में 10 मिनट टहलें

  • डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश केसवानी बताते हैंकि लॉकडाउन के कारण डायबिटीज के मरीजों की फिजिकल एक्टिविटी कम होने से शुगर बढ़ी है।
  • घर में ही सुबह-शाम 40-40 मिनट की एक्सरसाइज करें। हर घंटे में 10 मिनट के लिए खड़े हो जाएं या घर में ही चलें-फिरें।
  • हर हालत में शरीर को एक्टिव रखें। खाने में प्रोटीन अधिक लें ताकि एंटीबॉडी बनें और इम्युनिटी में इजाफा हो।
  • शुगर चेक करते रहें, अगर यह बढ़ी हुई है तो डॉक्टर से सलाह लें।


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