कोरोनावायरस के कारण इस बार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) यूएई में 19 सितंबर से 10 नवंबर तक होने जा रहा है। टूर्नामेंट की मंजूरी के साथ ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने चीन की मोबाइल कंपनी वीवो से टाइटल स्पॉन्सरशिप को भी जारी रखा है। इस कारण राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) समेत कई संगठन आईपीएल का बायकॉट करने की बात कर रहे हैं।

संघ से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि एक तरफ भारतीय सैनिक सीमा पर चीन से लड़ रहे हैं। देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं। हम अपने सैनिकों का समर्थन करते हुए चाइनीज कंपनियों और उनके सामान का बायकॉट कर रहे हैं। ऐसे में बीसीसीआई ने अपना करार जारी रखते हुए भारतीय सैनिकों का अपमान किया है। यदि यह करार नहीं तोड़ा गया तो हम आईपीएल का बायकॉट करेंगे।

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, ‘‘जब से गलवान घाटी में हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं, तब से देशभर में चीन और उनकी कंपनियों के खिलाफ विरोध चल रहा है। ऐसे में आईपीएल के ऑर्गनाइजर्स ने चीनी कंपनी को स्पॉन्सर बना दिया। यह दिखाता है कि उनकी भावनाएं सही नहीं हैं। यदि जल्द ही करार को खत्म नहीं किया गया, तो हमारे पास आईपीएल का बायकॉट करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होगा।’’

क्रिकेट देश से बढ़कर नहीं है
महाजन ने कहा, ‘‘हम आईपीएल के ऑर्गनाइजर्स से अपील करते हैं कि वे अपने फैसले पर दोबारा विचार करें। यदि ऐसा नहीं होता है, तो जो देशभक्त चीनी कंपनियों का बहिष्कार कर रहे हैं, उन पर गलत प्रभाव पड़ेगा। याद रखिए कि देश से बढ़कर कुछ भी नहीं है, क्रिकेट भी नहीं।’’

वीवो आईपीएल को हर साल 440 करोड़ रुपए देती है
वीवो आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर है, जो बीसीसीआई को कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर हर साल 440 करोड़ रुपए देती है। आईपीएल का कंपनी से 5 साल का करार 2022 में खत्म होगा। देशभर में चीनी कंपनियों के भारी विरोध के बावजूद बीसीसीआई ने अपना करार जारी रखा है।

गलवान में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे
15 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद से ही देशभर में चीनी कंपनियों का बायकॉट शुरू हो गया। साथ ही भारत सरकार ने भी चीन के 60 से ज्यादा ऐप्स को बैन कर दिया।



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चाइनीज मोबाइल कंपनी वीवो का आईपीएल के साथ 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट 2022 में खत्म होगा। देशभर में चीनी कंपनियों के विरोध के बावजूद बीसीसीआई ने इसे इस साल भी जारी रखा है।

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