कोरोना महामारी के चलते देशभर में बंद मंदिर, मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को ई-सुनवाई में झारखंड के देवघर स्थित ऐतिहासिक बैद्यनाथ धाम मंदिर के मामले में कहा कि ई-दर्शन, भगवान के दर्शन करना नहीं होता। राज्य सरकार मंदिर में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को केंद्र की गाइडलाइन का पालन करते हुए जाने की अनुमति दे।

मंदिर में सालाना श्रावणी मेले के दौरान श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 3 जुलाई काे केवल ई-दर्शन की अनुमति दी थी। इस निर्णय को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने चुनौती दी थी।

सरकार का तर्क- मंजूरी दी तो कोरोना का खतरा बढ़ेगा

  • जस्टिस मिश्रा: कोरोनाकाल में जब पूरा देश खुल रहा है तो मंदिर, मस्जिद, चर्च व अन्य धार्मिक स्थल क्यों बंद? महत्वपूर्ण दिनों में उन्हें क्यों नहीं खुलना चाहिए?
  • राज्य सरकार: अनुमति दी तो अव्यवस्था फैलेगी। कोरोना का खतरा बढ़ेगा। मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। उन पर काबू मुश्किल होगा। इसलिए मंदिर खोलने की मंजूरी नहीं दे सकते।
  • जस्टिस मिश्रा: ऐतिहासिक बैद्यनाथ धाम मंदिर में सीमित संंख्या में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी जा सकती है। ऐसी व्यवस्था बनाएं, जिससे श्रद्धालु बिना जोखिम के दर्शन कर सकें।
  • राज्य सरकार: सरकार ने मंदिर प्रबंधन के साथ मिलकर ई-दर्शन की सुविधा की है। इससे बिना कोरोना संक्रमण के श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
  • जस्टिस मिश्रा (नाराजगी से): मंदिर में ई-दर्शन करना, भगवान का दर्शन करना नहीं होता।
  • याचिकाकर्ता: तीर्थस्थान पर जाकर भगवान से अपनी मुराद मांगने का अलग महत्व होता है।


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बाबा बैद्यनाथ धाम में हर साल श्रावणी मेले में भारी भीड़ जुटती है। याचिका में कहा गया था कि तीर्थस्थान पर जाकर मुराद मांगने का अपना महत्व होता है। -फाइल फोटो

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