जम्मू-कश्मीर के लिए पिछला एक साल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। इसके दो कारण हैं। पहला कारण तो ये कि पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया। इसके बाद हालात न बिगड़े, इसके लिए राज्य में कई महीनों तक पाबंदी रही। लॉकडाउन रहा। हालात सुधर ही रहे थे कि फिर आ गया कोरोनावायरस।

इन दोनों का सबसे बड़ा असर टूरिज्म सेक्टर पर पड़ा। टूरिज्म से राज्य को हर साल करोड़ों की कमाई होती है। जम्मू-कश्मीर की कुल जीडीपी का 8% हिस्सा टूरिज्म से ही आता है। 2019 में यहां आने वाले टूरिस्ट्स की संख्या 10 साल में सबसे कम थी। टूरिस्ट डिपार्टमेंट के आंकड़े बताते हैं, 2018 की तुलना में यहां आने वाले टूरिस्ट्स की संख्या में 60% की गिरावट दर्ज की गई। 2019 में सिर्फ 4 लाख 99 हजार 584 टूरिस्ट ही जम्मू-कश्मीर आए।

मुख्तार अहमद कश्मीर के शोपियां जिले के रहने वाले हैं और ट्रैवल एजेंसी चलाते हैं। उनका कहना है कि पिछले साल 3 अगस्त को जब केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर टूरिस्ट्स को कश्मीर घाटी तुरंत छोड़ने को कहा था, तो ये उनके लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं था। 2014 की बाढ़ में काफी नुकसान उठाने के बाद मुख्तार ने अपनी सारी जमा-पूंजी अपनी ट्रैवल एजेंसी पर लगा दी थी।

कश्मीर में 2019 में जितने भी पर्यटक पहुंचे उनमें से 90% से ज्यादा जुलाई तक आए थे, अगस्त में 370 हटने के बाद से यहां पर्यटकों ने रुख नहीं किया।

टूरिज्म इंडस्ट्री पहले ही अगस्त में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से नुकसान झेल रही थी और मार्च में कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का काम किया।

मुख्तार के मुताबिक, पिछले साल अगस्त से सितंबर के बीच ही उनकी 40 से ज्यादा बुकिंग्स कैंसिल हो गई थी। इस बुकिंग से उन्हें 5 लाख रुपए की कमाई होने की उम्मीद थी। मुख्तार कहते हैं कि उन्होंने ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट्स को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग प्रमोशनल प्रोग्राम में हिस्सा लिया था। इसके लिए उन्होंने 10 लाख रुपए का कर्ज भी लिया था।

जम्मू-कश्मीर टूरिज्म अलायंस के अध्यक्ष मंजूर अहमद पख्तून बताते हैं कि इंटरनेट शटडाउन की वजह से करीब 2,600 टूर ऑपरेटर्स प्रमोशनल कैंपेन नहीं चला सके। ये कैंपेन नवंबर में चलाए जाते हैं, क्योंकि सर्दियों और वसंत के मौसम में टूरिस्ट ज्यादा आते हैं। वो कहते हैं 'अब भी, जब गर्मी शुरू ही हुई थी, तब हमारे ऊपर एक और ट्रेजडी महामारी के रूप में आई। गुलमर्ग और पहलगाम जैसे टूरिस्ट स्पॉट में कोई नहीं है। हमारे हालात अब भी जस के तस हैं।'

अगस्त से दिसंबर में सबसे कम टूरिस्ट आए
जम्मू-कश्मीर के टूरिज्म डिपार्टमेंट से मिले डेटा के मुताबिक, 2019 में सालभर में 5 लाख से भी टूरिस्ट आए थे। इनमें से भी 4.56 लाख टूरिस्ट जनवरी से जुलाई के बीच ही आ गए थे। यानी, पिछले साल जम्मू-कश्मीर में जितने टूरिस्ट आए थे, उनमें से 91% से ज्यादा टूरिस्ट जनवरी से जुलाई में आए थे। जबकि, अगस्त से दिसंबर के बीच सिर्फ 43 हजार 59 टूरिस्ट ही आए थे।

टूरिज्म डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त से दिसंबर 2018 की तुलना में 2019 में इसी पीरियड के दौरान टूरिस्ट की संख्या 75% कम हो गई थी। 2018 में अगस्त से दिसंबर के दौरान कश्मीर घाटी में 3.16 लाख से ज्यादा टूरिस्ट आए थे। जबकि, 2017 में इसी दौरान 6.11 लाख टूरिस्ट आए थे।

1.5 लाख नौकरियां गईं, 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ
अनुच्छेद 370 हटने के बाद 5 अगस्त से लेकर 3 दिसंबर 2019 के बीच कश्मीर घाटी को कितना नुकसान हुआ? इसको लेकर पिछले साल कश्मीर चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 5 अगस्त से 3 दिसंबर के बीच 120 दिनों में घाटी को 17 हजार 878 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले टूरिज्म सेक्टर से ही घाटी को 9 हजार 191 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। साथ ही 1.4 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियां भी गई थीं।

इस वजह से जिन लोगों की नौकरियां गई थीं, उनमें से ज्यादातर वो लोग थे जो गुलमर्ग और पहलगाम जैसे इलाके में खच्चर या घोड़े चलाते थे।

गुलमर्ग में सर्दियों के दौरान स्लेज ड्राइव करने वाले गुलाम अहमद बताते हैं कि, यहां 5 हजार खच्चर या घोड़े वालों में से 70% अपना काम छोड़ चुके हैं और उनमें से ज्यादातर अब दिहाड़ी मजदूरी करने लगे हैं।

2012 में सबसे ज्यादा टूरिस्ट आए थे
पिछले 30 साल में सबसे ज्यादा ज्यादा 13.08 लाख टूरिस्ट आए थे। उसके बाद से हर साल टूरिस्ट की संख्या में गिरावट ही आई है। हालांकि, 2016 में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद जब घाटी में हालात बेहद खराब हो गए थे, तब टूरिस्ट की संख्या भी बढ़ी थी। 2016 में 12.12 लाख से ज्यादा टूरिस्ट आए थे, जो 2015 की तुलना में 30% ज्यादा थे।

कश्मीर होटलायर्स एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल वाहिद मलिक का कहना है कि कश्मीर में डोमेस्टिक टूरिस्ट को लुभाने के लिए कदम उठाना चाहिए।

वो कहते हैं, 'ये केंद्र सरकार ही थी, जिसने पिछले साल टूरिस्ट को घाटी छोड़ने को कहा था। अब सरकार को ही उन्हीं लोगों को समझाना होगा कि कश्मीर उनके लिए सेफ है।'

नुकसान की भरपाई के लिए टूरिज्म डिपार्टमेंट ने इस साल भारत समेत कई देशों में प्रमोशनल प्रोग्राम्स चलाने की योजना बनाई थी। हालांकि, कश्मीर टूरिज्म डिपार्टमेंट के एक सीनियर अफसर का कहना है कि मार्च और अप्रैल में होने वाले 5 शो कोरोनावायरस की वजह से टाले जा चुके हैं।

उनका कहना है कि इन शो का मकसद पड़ोसी राज्यों से ट्रैवल ट्रेड बढ़ाना था, ताकि घाटी में टूरिस्ट फ्लो बढ़ सके। इसके लिए घाटी के टूरिस्ट ऑपरेटर्स को देशभर के टूरिस्ट ऑपरेटर्स से मिलना था और उनके साथ एमओयू साइन करना था। हालांकि, कोरोनावायरस ने किसी भी तरह की प्रमोशनल एक्टिविटी पर बुरा असर डाला है।

वो कहते हैं, 'टूरिज्म इंडस्ट्री को इससे उबरने में लंबा समय लगेगा, क्योंकि ये पहले से ही नुकसान में थी और अब कोरोनावायरस ने आखिरी तिनके के रूप में काम किया है।'

इस साल जून में घाटी में दोबारा टूरिज्म एक्टिविटी शुरू करने की घोषणा की गई थी। हालांकि, टूरिज्म से जुड़े लोगों ने कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों और ट्रैवल पर लागू रेस्ट्रेक्शन को देखते हुए इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए थे।

ये तस्वीर गुलमर्ग की है। ये एशिया का सबसे मशहूर स्कीइंग डेस्टिनेशन है। इस बार यहां अच्छी बर्फ पड़ी थी, लेकिन यहां आने वाले सैलानी नहीं थे।

इस साल के आखिर तक दोबारा टूरिज्म शुरू होने की उम्मीद नहीं

ट्रैवल एजेंट एसोसिएशन ऑफ कश्मीर के अध्यक्ष अशफाक अहमद डुग्ग कहते हैं कि इस साल के आखिर तक टूरिज्म इंडस्ट्री के दोबारा पनपने के कोई चांस नहीं है।

वो कहते हैं, मुंबई, गुजरात और पश्चिम बंगाल से करीब 90% डोमेस्टिक टूरिस्ट घाटी आते थे, लेकिन ये तीनों ही कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हैं। उनका कहना है, 'सरकार का ये कदम हमारी मदद करने वाला नहीं है। मुंबई, गुजरात और पश्चिम बंगाल के हालात अच्छे नहीं है और कोई भी ऐसे हालातों में कश्मीर आने का जोखिम नहीं उठाएगा।'

अशफाक कहते हैं, 'अगर कोई ट्रैवल एजेंट टूरिस्ट को घाटी में भेजने का सोचता है, तो वो पहले ये देखेगा कि यहां क्या सुविधा है। मुझे यकीन है कि कोई भी सिर्फ क्वारैंटाइन में समय बिताने के लिए यात्रा करना पसंद नहीं करेगा।'

उमर अहमद, जो एक ट्रैवल एजेंट है, वो कहते हैं 'अगर कोई कश्मीर में एक हफ्ता बिताने का प्लान कर रहा है, तो उसे क्वारैंटाइन पीरियड से गुजरना होगा।'

कश्मीरी होटलायर्स का कहना है कि फिर से टूरिज्म एक्टिविटी बिना किसी रेस्ट्रेक्शन के शुरू किया जाए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Tourism accounts for 8% of the GDP of Kashmir, the lowest number of tourists came in last 10 years, 92% of them between January-July

https://ift.tt/3hVGJvS

Post a Comment

Previous Post Next Post