(शरद पाण्डेय) देश में 6 टेबल टॉप समेत 12 एयरपोर्ट्स के रन-वे खतरनाक श्रेणी में हैं। इनमें जम्मू और पटना सबसे खतरनाक हैं। पटना का रन-वे करीब 6 हजार फीट ही लंबा है। इसके एक तरफ रेलवे लाइन और दूसरी तरफ हाईवे है। इसलिए रन-वे को बढ़ाया नहीं जा सकता है।

उड्डयन मंत्रालय ने इनके लिए बोइंग (छोटे विमान) के परिचालन की मंजूरी दी है, जबकि बड़े विमान लाने पर करीब 30% सीटें खाली रखने का नियम है। वहीं, जम्मू एयरपोर्ट सिविल एन्क्लेव में है। यानी इसमें रन-वे एयरफोर्स का है।

इसमें एक तरफ तवी नदी है। दूसरी ओर रन-वे बढ़ाया जाए, तो विमान को टेकऑफ और लैंडिंग के लिए पाकिस्तान की सीमा में जाना पड़ेगा। इसलिए नदी की ओर बढ़ाया जा सकता है, इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एअर इंडिया के पूर्व चीफ को-आर्डिनेटर और एविएशन एक्सपर्ट हर्षवर्धन ने बताया दुनिया के करीब 15% एयरपोर्ट खतरनाक श्रेणी में हैं।

विशेषज्ञ बोले- ई-मास टेक्नोलॉजी से रुक सकते हैं ऐसे हादसे, रन-वे से बाहर फोम कंक्रीट लगाएं
एएआई के पूर्व चेयरमैन और एविएशन एक्सपर्ट वीपी अग्रवाल ने बताया कि टेबल टॉप रनवे में ऐसे हादसे रोकने के लिए ई-मास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अभी यह विदेश में लागू है। इसमें रनवे से बाहर सेफ्टी एरिया में फोम कंक्रीट लगाई जाती है, ताकि विमान रनवे से फिसलने पर जमीन में धंसते हुए रुक जाए।

इसका अध्ययन करने साल 2012-13 में एएआई की टीम अमेरिका गई थी। उसने डीजीसीए को टेक्नोलॉजी लागू करने के लिए प्रस्ताव दिया था। प्रति एयरपोर्ट 40 से 50 करोड़ रुपए खर्च बताया था। हालांकि इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
टेबल टॉप एयरपोर्ट
पैकयांग एयरपोर्ट (सिक्किम), कुल्लू और शिमला, लेंगपुई (मिजोरम), करिपुर एयरपाेर्ट (कालीकट, केरल), मंगलौर।
खतरनाक एयरपोर्ट
लेह (लेह लद्दाख) पोर्ट ब्लेयर, अगरतला (त्रिपुरा), लातूर (महाराष्ट्र), जम्मू (जम्मू कश्मीर), पटना (बिहार)।

9 साल पहले रनवे को असुरक्षित बताया था
अनुराग कोटकी| कोझिकोड हादसे के बाद सरकार पर टेबल टॉप रनवे को लेकर दी गई चेतावनी पर ध्यान न देने का आराेप लग रहा है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, विमानन मंत्रालय द्वारा गठित सुरक्षा सलाहकार परिषद में शामिल रहे सदस्य कैप्टन मोहन रंगनाथन ने 9 साल पहले अरेस्टोर सिस्टम स्थापित करने की सिफारिश की थी।

कैप्टन के मुताबिक, ‘यह चेतावनी मेंगलुरू में मार्च 2010 में हुए हादसे के बाद दी थी, मगर ध्यान नहीं दिया गया। करीपुर एयरपोर्ट भी मेंगलुरू की तरह ‘टेबल टॉप एयरपोर्ट’ है। बफर जोन भी पर्याप्त नहीं है। हवाई पट्टी के अंत में 240 मीटर का बफर जोन होना चाहिए, लेकिन कोझीकोड हवाई अड्डे पर यह सिर्फ 90 मीटर है जिसे डीजीसीए ने मंजूरी भी दे रखी है।’

यह है मानक: आईआई एविएशन कमेटी के सदस्य और एविएशन एक्सपर्ट अंकुर भाटिया ने बताया कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए रन-वे 9000 फीट लंबा होना चाहिए। कोझीकोड की लंबाई तय मानक के अनुसार है। 7500 फीट लंबे रन-वे में एयरबस उड़ान भर सकती है। जबकि बाेइंग विमान 6 से 7 हजार फीट लंबे रन-वे पर उड़ान भरते हैं।



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एविएशन एक्सपर्ट के मुताबिक, कोझीकोड की लंबाई तय मानक के अनुसार है। 7500 फीट लंबे रन-वे में एयरबस उड़ान भर सकती है। - केरल विमान हादसे का फाइल फोटो

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