रेलवे में अब खलासियों की भर्ती नहीं होगी। रेलवे बोर्ड ने अपॉइंटमेंट पर रोक का आदेश 6 अगस्त को जारी कर दिया। इसके मुताबिक टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलासी (टीएडीके) की भर्तियों के मामले का रिव्यू किया जा रहा है। 1 जुलाई से अब तक टीएडीके की जो भी भर्तियां मंजूर हुई हैं, उनकी भी समीक्षा की जा सकती है।

क्या करते हैं टीएडीके?
इन्हें बंगला प्यून भी कहा जाता है। ये रेलवे के सीनियर अफसरों के घरों पर काम करते हैं। रेलवे में यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है। टीएडीके को शुरुआत में करीब 15 हजार रुपए मिलते हैं। तीन साल बाद इन्हें स्थायी कर दिया जाता है। उसके बाद 20 हजार रुपए और दूसरे फायदे भी मिलते हैं।



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फोटो मुंबई के दादर रेलवे स्टेशन की है। कोरोनावायरस की वजह से स्टेशन पर आने जाने वालों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है।

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