उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग के अरखुंड गांव के युवा बेरोजगार होकर कुछ दिनों पहले महानगरों से अपने घर लौटे हैं, लेकिन निराश नहीं हैं। इन युवाओं ने पर्वतीय लोक कला, संस्कृति, पर्यावरण और ग्रामीण हक हकूक की प्रतिनिधित्व करती तस्वीरों से गांव के हर घर की दीवार रंग दी है। इससे गांव तो सुंदर हुआ ही, धीरे-धीरे पर्यटक भी आने लगे।

युवा चाहते हैं कि चारधाम यात्रा से उनका गांव जुड़े और वे यहीं रहकर रोजगार खोज सकें। रुद्रप्रयाग से 29 किमी दूर स्थित अरखुंड गांव में 173 घर हैं। जनसंख्या लगभग 833 है। इस रंगीन बदलाव का नेतृत्व करने वाले सुमित राणा हैं। ड्रॉइंग मेंपोस्ट ग्रेजुएट हैं। लॉकडाउन में उन्हें भी घर लौटना पड़ा। सुमित ने कुछ युवाओं के साथ मिलकर देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति और पर्यावरण को चित्रों में उतारने की योजना बनाई।

युवाओं की इस कोशिश को उत्तराखंड सरकार ने भी सराहा है

चार हजार रुपए जुटाए, जिससे पेंट और अन्य सामान की खरीद की। सुमित के साथ त्रिलोक रावत, प्रमोद रावत, सूर्यकांत गोस्वामी, नीरज भट्ट व आलोक नेगी जैसे युवाओं ने कुछ ही दिनों में अरखुंड की तस्वीर बदलकर रख दी। युवाओं की इस कोशिश को उत्तराखंड सरकार ने भी सराहा है।

राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक, ऐसे गांवों के लिए जल्द योजना लाई जा रही है। इन्हें सुंदर बनाकर टूरिस्ट सर्किट से भी जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इन युवाओं की भी मदद लेंगे।

पहाड़ के हर गांव को जोड़ना चाहते हैं, ताकि सब यहीं रहें
सुमित कहते हैं कि हम पहाड़ के हर गांव को स्वरोजगार से जोड़ना चाहते हैं। रोजगार मिलेगा, तो सब यहीं रहेंगे। महानगरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। लक्ष्मण चौहान बताते हैं कि गांव में पर्यटक बढ़ेंगे तो होम स्टे शुरू करेंगे। वहीं हरीश पडियार मानते हैं कि इन बदलावों से उनका गांव भी टूरिस्ट हब बन सकता है।



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रुद्रप्रयाग से 29 किमी दूर स्थित अरखुंड गांव में 173 घर हैं। जनसंख्या लगभग 833 है। इस रंगीन बदलाव का नेतृत्व करने वाले सुमित राणा हैं।

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