अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लाॉयड की मौत को लेकर तकरीबन सभी राज्यों में प्रदर्शन हुए। मिनेपोलिस के प्रदर्शन में पहुंची मेडिकल स्टूडेंट सफा अब्दुल कादिर ने बताया कि वह भी प्रदर्शन के लिए गईथी। पर वहां देखा कि एक महिला रबर बुलेट से घायल होकर रो रही थी।
जब सफा ने एक समूह से मदद मांगी और खुद के मेडिकल छात्रा होने की जानकारी दी, तो समूह के लोगों ने सफा को ही उस महिला को उपचार देने के लिए कहा। समूह के लोगों की मदद से सफा ने महिला की मरहमपट्टी की और उसे दवा भी दी। इस वाकये के बाद सफा ने भी स्ट्रीट मेडिक्स से जुड़ने का फैसला लिया।
20 देशों में ये वॉलेंटियर सक्रिय
स्ट्रीट मेडिक्स वॉलेंटियर्स का समूह हर उस जगह पर मौजूद रहता है, जहां प्रदर्शन होने जा रहे हैं। पिछले दो हफ्तों से ये संगठन अमेरिका के सभी राज्यों में लोगों का उपचार करते दिखा। अमेरिका समेत 20 देशों में ये वॉलेंटियर सक्रिय हैं। इनमें फिजिशियन से लेकर नए युवा तक शामिल हैं।
ये लोग प्रदर्शनों के बारे में पहले ही पता कर लेते हैं और उनमें शामिल होते हैं। प्रदर्शनकारी हो या पुलिस सभी का इलाज करते हैं। समूह से जुड़ने के लिए 20 दिन की ट्रेनिंग लेनी होती है। अकेले कैलिफोर्निया में 3000 से ज्यादा लोग इसके लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग ले चुके हैं।
ओहियो के कोलंबस में समूह से जुड़े डक बार्बाडस बताते हैं कि ऐसे प्रदर्शनों में सभी के पास मदद नहीं पहुंच पाती। ऐसे में स्ट्रीट मेडिक्स की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। पिछले दो हफ्तों में ये 250 लोगों की मदद कर चुके हैं।
कोरोनावायरस के कारण वॉलेंटियर्स की जिम्मेदारी बढ़ गई
मिनेपोलिस में स्ट्रीट मेडिक्स और मिनेसोटा यूनिवर्सिटी में पढ़ रहीं अश्वेत छात्रा डॉमनिक इयरलैंड बताती हैं कि कोरोना के कारण हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। प्रदर्शनों में आंसू गैस और पेपर स्प्रे जैसी चीजें डालते हैं। इससे लोगों को छींक और खांसी की समस्या होती है। कोरोना के दौर में यह जोखिम भरा है। वैसे भी अश्वेतों को कोरोना के दौरान अनदेखा किया जा रहा है। इसलिए हमें सजग रहने की जरूरत है।
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