दोपहर 3 बजकर 15 मिनट…इंडिगो की दिल्ली फ्लाइट राजा भोज एयरपोर्ट के रनवे पर उतर चुकी थी। इस फ्लाइट से उतरे यात्री सेल्फ डिक्लेयरेशन फॉर्म भरने के बाद अपनी थर्मल स्क्रीनिंग कराकर बाहर निकल रहे थे। इस दौरान अराइवल गेट के बाहर दंपति टकटकी लगाए खड़े थे। जब उनसे बात की तो पता चला वे अपने बच्चों को लेने आए हैं।

दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर इंडिगो का स्टाफ दो बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग कराकर उन्हें अराइवल गेट पर लाया। 97 दिन बाद अपने बच्चों को सामने देखकर मां के चेहरे पर जो खुशी थी वो देखने लायक थी। मां ने दौड़कर अपने साढ़े तीन साल के बेटे को गले लगाना चाहा लेकिन एयरलाइन स्टाफ ने रोक दिया।

स्टाफ ने पहले पेरेंट्स की आईडी चेक की उसके बाद दोनों बच्चों को उनके हवाले किया। इसके बाद साढ़े तीन साल का बच्चा अपनी मां से लिपट गया, दोनों के चेहरे पर खुशी और आंखें नम थी।

8 मार्च को गए थे नानी के घर, तब से वहीं थे दोनों बच्चे

भोपाल कीमिनाल कॉलोनी में रहने वाले मूलचंद शर्मा ने बताया कि उनका साढ़े तीन साल का बेटा माधव और 13 साल की बेटी दिव्यांशी 8 मार्च को अपनी नानी के घर मोदीनगर, गाजियाबाद गए थे। यहां से उनके मामा उन्हें लेकर गए थे। 23 मार्च को वापसी का टिकट था, लेकिन लॉकडाउन हो गया और बच्चे अपनी नानी के घर ही रह गए।

बच्चों से मिलने से पहले मां को दिखाना पड़ा अपना आईडी प्रूफ।

नानी के घर सुरक्षित थे बच्चे फिर भी हमें उनकी चिंता रहती थी, रोजाना करते थे वीडियो कॉल

मूलचंद ने बताया कि दोनों बच्चे अपनी नानी के घर पूरी तरह से सुरक्षित थे, लेकिन मां-बाप होने के नाते हमें उनकी चिंता रहती थी। हम दोनों रोजाना ऑडियो-वीडियो कॉल पर उनसे बात करते थे। 25 मई से डोमेस्टिक फ्लाइट्स शुरू हो गई थीं लेकिन यूपी-दिल्ली बॉर्डर सील थे इसलिए बच्चे मोदीनगर से दिल्ली एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच सकते थे। लिहाजा हमें और इंतजार करना पड़ा, तीन-चार दिन पहले ही वहां बॉर्डर खुला, तभी हमने बच्चों की टिकट बुक करा दी। पहले यह तय हुआ कि मेरी वाइफ सुबह की फ्लाइट से जाकर बच्चों को लेकर आ जाएगी। लेकिन हमें ऐसी कोई फ्लाइट नहीं मिली।

राजा भोज एयरपोर्ट के बाहर अपने बेटे माधव और बेटी दिव्यांशी के साथ माता-पिता।

इंडिगो स्टाफ ने परिवार की तरह रखा बच्चों का ख्याल
13 जून को सुबह बच्चों के मामा ने उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट पर छोड़ा, वहां से इंडिगो स्टाफ ने बच्चों की पूरी जिम्मेदारी संभाली। स्टाफ ने दोनों बच्चों का पूरी जर्नी में परिवार की तरह ही ख्याल।हवाई यात्रा में आरोग्य सेतु एप होना जरूरी है इसलिए हमारी बेटी के पास एक मोबाइल था। उस पर हम बात करके हाल-चाल भी ले रहे थे।

भोपाल स्थित राजा भोज एयरपोर्ट।


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राजा भोज एयरपोर्ट पर एक मां जब तीन महीने बाद अपने साढ़े तीन साल के बेटे से मिली तो कुछ इस अंदाज में गले से लगाया।

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