40 हजार से ज्यादा कोरोनावायरस संक्रमितों के साथ तमिलनाडु देश का दूसरा सबसे संक्रमित राज्य है। शुरुआत में अन्य राज्यों की तरह ही यहां मामलों में सामान्य बढ़ोतरी हो रही थी लेकिन फिर यह इस रेस में लगातार आगे निकलता गया। यह इस हालात में कैसे पहुंचा, यह जानने के लिए थोड़ा पीछे देखें तो 2 बड़े कारण नजर आते हैं- पहला तब्लीगी जमात और दूसरा कोयंबेडू बाजार।

तब्लीगी जमात ने अप्रैल के पहले हफ्ते में तमिलनाडु में अचानक मामले बढ़ा दिए थे, यह कुछ हद तक निंयत्रित भी हो गया था लेकिन कोयंबेडू बाजार ने मई के पहले हफ्ते में इस कदर संक्रमण बढ़ाया कि तमिलनाडु उबर ही न सका। इन्हीं दो कारणों के चलते देशभर में सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट करने के बावजूद तमिलनाडु में पिछले 2 महीनें में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट भी लगातार बढ़ती गई।

अप्रैल में जो टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 1% के आसपास थी, वह मई में 4 से 6 के बीच में रही और अब जून में यह 10% तक पहुंच गई है यानी 100 लोगों के टेस्ट में 10 लोग संक्रमित मिल रहे हैं। यह तब हो रहा है जब तमिलनाडु में हर दिन 15 से 17 हजार टेस्ट हो रहे हैं।

अब कहानी जरा शुरू से शुरू करते हैं...

एयरपोर्ट स्क्रिनिंग: 22 फरवरी तक चेन्नई एयरपोर्ट पर सिर्फ 6 देशों से आने वालों की स्क्रिनिंग होती रही, जबकि इस दिन तक 29 देशों में कोरोना पहुंच चुका था
भारत में एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग 18 जनवरी से शुरू हुई थी। लेकिन यह सिर्फ 3 एयरपोर्ट पर शुरू हुई। देश का चौथा सबसे व्यस्त रहने वाला चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट इसमें शामिल नहीं था।

21 जनवरी से चेन्नई को भी इस लिस्ट में शामिल हुआ।इन एयरपोर्ट्स पर महज चीन और हांगकांग से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग के ही आदेश थे। अगले एक महीने तक चेन्नई एयरपोर्ट पर इन्हीं दोनों देशों के पैसेंजरों की स्क्रीनिंग हो रही थी, जबकि 30 जनवरी तक ही 20 देशों में कोरोना संक्रमितों की पुष्टि हो चुकी थी।

22 फरवरी को चीन और हांगकांग के अलावा नेपाल, इंडोनेशिया, वियतनाम और मलेशिया से आने वाले यात्रियों की भी स्क्रीनिंग शुरू की गई लेकिन इसमें भी इटली और अमेरिका जैसे देश जहां कोरोना पॉजिटिव की संख्या 20-20 से ज्यादा हो गई थी उनका नाम शामिल नहीं था।

इस साल मार्च-अप्रैल के दौरान तमिलनाडु में 2.31 लाख इंटरनेशनल पैसेंजर और 10.50 लाख डोमेस्टिक पैसेंजर का मूवमेंट रहा, जो दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा है।

4 मार्च को जब देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 27 पहुंच गई, तब सभी इंटरनेशनल फ्लाइट्स की स्क्रीनिंग शुरू की गई। लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी क्योंकि अब विदेशों से लौटे यात्रियों में कोरोना के लक्षण सामने आने लगे थे और मामलों की पुष्टि होने लगी थी। 7 मार्च को यहां कांचीपुरम का रहने वाला एक 45 वर्षीय शख्स ओमान से लौटने के बाद संक्रमित पाया गया। यह तमिलनाडु में संक्रमण का पहला मामला था।

अभी भी यहां भारत के बाकी राज्यों से आ रहे लोगों की स्क्रीनिंग नहीं की जा रही थी। 18 मार्च को जब दिल्ली से लौटे एक शख्स को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद 19 मार्च से चेन्नई एयरपोर्ट पर डोमेस्टिक पैसेंजर्स की भी स्क्रीनिंग शुरू की गई। लेकिन यह भी दिल्ली और केरल से आए यात्रियों तक ही सीमित रही।

दिल्ली मरकज: तमिलनाडु में कोरोना का पहला क्लस्टर
7 अप्रैल को तमिलनाडु स्वास्थ्य सचिव बिला राजेश ने राज्य में कुल 690 कोरोना संक्रमितों की पुष्टि की थी। इनमें से 637 लोग दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में लगे तब्लीगी जमात के मरकज में शामिल हुए थे। यानी कुल संक्रमितों का 92% हिस्से का सोर्स एक ही था। इस दिन तक राज्य से तब्लीगी जमात में शामिल हुए करीब 1427 लोगों को ट्रैस किया जा चुका था। यह तमिलनाडु में संक्रमण में अचानक बढ़ोतरी का पहला ही मामला था।

तमिलनाडु के वरिष्ठ पत्रकार विवेक टीआर बताते हैं कि तब्लीगी जमात के कारण तमिलनाडु में कोरोना के मामलों में अचानक बढ़ोतरी जरूर हुई थी लेकिन प्रशासन ने कान्टैक्ट ट्रैसिंग और क्वारैंटाइन कर इस क्लस्टर को अच्छे से नियंत्रित कर लिया था, लेकिन कोयंबेडू बाजार से फैला संक्रमण रोकने में सरकार सफल नहीं हो पाई।

मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात का मरकज लगा था। इसमें देश-विदेश के पांच हजार से ज्यादा लोग जमा हुए थे। इस मरकज से देशभर के राज्यों में लौटे लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया था।

कोयंबेडू बाजार: पूरे तमिलनाडु में कोरोना फैलने की असल जड़
चेन्नई के बीचोंबीच यह थोक बाजार करीब 65 एकड़ में फैला हुआ है। 1000 से ज्यादा थोक विक्रेता और 2000 से ज्यादा रिटेल दुकानों वाले इस बाजार में आम दिनों में हर दिन एक लाख लोगों का आना जाना होता है। लॉकडाउन के बाद यहां लोगों और व्यापारियों का आना-जाना 50% तक कम हो गया लेकिन फिर भी यह संख्या 40 हजार से ज्यादा ही थी।

एशिया के सबसे बड़े बाजारों में गिने जाने वाले फल, सब्जी, अनाज और फूलों के इस बाजार को चालू रखना प्रशासन की मजबूरी भी थी क्योंकि चेन्नई समेत आसपास के कई जिलों में में खाने-पीने की सप्लाई का यह सबसे बड़ा मार्केट था।

विवेक टीआर के मुताबिक, इतने भीड़भाड़ वाले और बड़े इलाके में फैले इस सब्जी बाजार को चालू रखना ही शायद तमिलनाडु सरकार की सबसे बड़ी गलती रही, क्योंकि यहां से पूरे राज्य में फैले संक्रमितों की कॉटेक्ट ट्रेसिंग नहीं हो सकी और मामले बढ़ते गए।

लॉकडाउन के ठीक एक महीने बाद यानी 24 अप्रैल को इस बाजार में पहला संक्रमित मिला। कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग के बाद जब बाजार से लगातार पॉजिटिव मिलते गए तो 5 मई को पूरा बाजार बंद कर दिया गया।

हालत यह थी कि जब 9 मई को तमिलनाडु में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6500 पहुंची तो इसमें 1867 मामले कोयंबेडू बाजार से जुड़े हुए थे। यानी कुल मामलों का 29% हिस्सा महज एक इलाके से जुड़ा हुआ था। चेन्नई समेत आसपास के दो जिलों- चेंगलपट्टू, तिरूवल्लुर से लेकर 200 किमी दूर तक के जिले कुड्डालोर जिले में इस बाजार से लौटने वालों मेंकोरोना संक्रमण पाया गया।

9 मई तक चेन्नई के 10 जिलों में कोयंबेडू बाजार से लौटे लोग संक्रमित पाए गए थे। इस दिन के बाद इस बाजार से जुड़े कितने लोग संक्रमित पाए गए, इसका डेटा नहीं है लेकिन स्थानीय मीडिया में चर्चा है कि इस बाजार से 10 हजार से ज्यादा संक्रमित हुए।

दिल्ली, मुंबई की तरह ही चेन्नई भी घनी आबादी वाला शहर
विवेक टीआर यह भी बताते हैं कि दिल्ली, मुंबई की तरह ही चेन्नई भी घनी आबादी वाला शहर है। यही तीनों शहर कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं। कोलकाता और बैंगलुरू जैसे शहर इस लिस्ट में इसलिए नहीं जुड़ पाए क्योंकि वहां उस स्तर पर टेस्टिंग नहीं हो पाई।

विवके यह भी कहते हैं कि तमिलनाडु में ज्यादातर टेस्टिंग चेन्नई तक सीमित रही। दूसरे जिले नजरअंदाज किए जा रहे हैं। ये राज्य के लिए और बुरा साबित हो सकता है।

कोरोना से सबसे कम मृत्यू दर का दावा करती है तमिलनाडु सरकार
तमिलनाडु कोरोना से दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य जरूर है लेकिन जिस दर से नए मामले सामने आ रहे हैं उसकी तुलना में यहां कोरोना से होने वाली मौतें बहुत कम हैं।

पॉलिटिकल एनालिस्ट डॉ. सुमंत सी रमन बताते हैं कि यहां बुजुर्गों के मुकाबले युवा लोगों में संक्रमण ज्यादा फैला है और युवाओं पर कोरोना का असर कम ही देखा गया है। मौत की दर कम होने का यह एक कारण हो सकता है।

डॉ. सुमंतराज्य में कोरोना से कम हो रही मौतों को टेस्टिंग से जोड़कर भी देखते हैं। वे बताते हैं कि अन्य राज्यों की तुलना में तमिलनाडु में कोरोना के टेस्ट ज्यादा हो रहे हैं। बाकी राज्यों में लक्षण दिखाई देने पर ही टेस्टिंग हो रही है, कई मामलों में तो सामान्य लक्षण दिखने पर टेस्टिंग न होने की भी खबरें आ रही हैं, ऐसे में इन राज्यों में गंभीर स्थिति में पहुंच चुके संक्रमितों की ही टेस्टिंग होती है, जिन्हें बचा पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वहां कोरोना से मृत्यू दर अधिक है, जबकि तमिलनाडु में सामान्य लक्षण और संक्रमितों के संपर्क में आने पर भी टेस्ट हो रहे हैं। समय रहते संक्रमित हॉस्पिटल में पहुंच जाते हैं, इससे मौतों की दर कम हो जाती है। डॉ. सुमंत यह भी बताते हैं किराज्य में कई ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कोरोना संक्रमित की मौतों को छिपाया जा रहा है।

हाल ही में ग्रेटर चेन्नई कार्पोरेशन के रजिस्टर में दर्ज कोरोना से हुई मौतों और राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशालय में दर्ज मौतों में 236 मौतों का अंतर आया था। इस पर जांच चल रही है।

जुलाई के दूसरे हफ्ते तक कुल संक्रमितों की संख्या डेढ़ लाख पहुंचने का अनुमान, कितना तैयार है तमिलनाडु?
डॉ. एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने तमिलनाडु में जुलाई के दूसरे हफ्ते तक कुल संक्रमितों की संख्या डेढ़ लाख तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। डॉ. सुमंत सी रमन कहते हैं कि राज्य में अब हर दिन डेढ़ हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार हॉस्पिटल बेड की क्षमता भी लगातार बढ़ा रही है। लेकिन जिस तरह से नए मामले सामने आने लगे हैं, उस हिसाब से बेड और वेटिलेटर्स की कमी का सामना करना पड़ेगा।

फिलहाल, यहां हर प्राइवेट हॉस्पिटल को भी कम से कम 5 बेड हमेशा उपलब्ध रखने के निर्देश दिए गए हैं। कोविड के लिए बनी तमिलनाडु सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर देखें तो ऐसे 161 प्राइवेट हॉस्पिटल्स में खाली पड़े बेड और वेटिंलेटर की संख्या दी गई है। फिलहाल ज्यादातर हॉस्पिटल्स में खाली बेडो की संख्या 0 से 10 के बीच हैं। कुछ में यह संख्या 100 से ज्यादा भी है। लेकिन इन प्राइवेट हॉस्पिटलों में उपलब्ध वेंटिलेटर्स की कुल संख्या करीब 500 ही है।



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कोयंबेडू बाजार चेन्नई के बीचोंबीच करीब 65 एकड़ में फैला हुआ है। मई के पहले हफ्ते में यह तमिलनाडु में कोरोना का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट बनकर उभरा था।

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