क्या वायरल- कुछ ट्वीटऔर फेसबुक पोस्ट। जिनमें भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) को कोसा जा रहा है। कुछ फोटो भी वायरल हो रही हैं, जिनके साथ लिखा है कि यह पार्टी भारत सरकार और भारतीय सेना के विरोध में प्रदर्शन कर रही है।

वॉट्सऐपपर इस तरह के मैसेज शेयर किए जा रहे हैं

सीपीआईएम और भारत-चीन विवाद को जोड़कर किए गए कुछ ट्वीट

https://twitter.com/Venureddy67/status/1273260190414979076

https://twitter.com/siddhu92

https://twitter.com/jr_IndiaFirst/status/1273058462067388416

https://twitter.com/GhostriderPs/status/1273256086875721730

फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट की जा रही हैं

http://archive.is/ozuF9#selection-4529.2-4532.0

यह पोस्ट मराठी में है। इसका हिंदी अनुवाद है: भारतीय सेना द्वारा पांच चीनी सैनिकों को गोली मारने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने दिल्ली में रैली की। बड़ा दुर्भाग्य है।

फैक्ट चेक पड़ताल

  • लद्दाख में15 जून कीरात भारतीय सेना के 20 जवानों की शहादत से पूरा देश शोक में है। इसबीच सीपीआईएमके प्रदर्शनों की फोटो को इस शहादत से जोड़कर शेयर किया जा रहा है। सबसे पहले हमने इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए पड़ताल शुरू की कि क्या सीपीआईएमके प्रदर्शनों का भारत-चीन सीमा विवाद से कोई लेना-देना है?
  • पार्टीका ऑफिशियल ट्विटर हैंडल चेक करने पर ही काफी हद तक इन प्रदर्शनों के पीछे की मांगों का पता चल गया। यहांदेश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे प्रदर्शनों की तस्वीरों के साथ कैप्शन में मांगें भी लिखी गई हैं। यहसभी मांगें राशन, वेतन, मुआवजा, फ्री ट्रांसपोर्ट और श्रम कानूनों से जुड़ी हुई हैं।
  • जो तस्वीरें वायरल हो रही हैं वह 16 जून की हैं। जब सीपीआईएमने केंद्र सरकार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन किया। इस देशव्यापी आंदोलन का क्या भारत-चीन तनाव से कोई संबंध है? इसका जवाब पार्टी द्वारा जारी किए गए आधिकारिक बयान से मिलता है। यह बयान सीपीआई(एम) की वेबसाइट पर है। बयान में पार्टी ने अपनी मांगों के बारे मेंबताया है। यह मांगें केंद्र सरकार से की गई हैं।
https://cpim.org/pressbriefs/meet-urgent-demands-people
  • क्या हैं यह मांगें?

- जो भी परिवार आयकर के दायरे में नहीं आते, उनके बैंक खातों में अगले छह माह तक 7,500 रुपए ट्रांसफर किए जाएं।

- परिवार के हर सदस्य के हिस्से का 10 किलो अनाज भी अगले छह माह तक दिया जाए।

- मनरेगा के तहत बेरोजगारश्रमिकों को कम से कम 200 दिनों का रोजगार।

- पब्लिक सेक्टर का निजीकरण रोका जाए और श्रम कानून खत्म न किए जाए।

- फसल की बिक्री पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू हो और यह मूल्य लागत से 50% अधिक हो। साथ ही किसानों का एक बार का लोन माफ हो।

निष्कर्ष : सीपीआईएम के आधिकारिक बयानों के लिहाज सेपार्टी द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों का भारत-चीन सीमा विवाद से कोई संबंध नहीं है। यह प्रदर्शन किसान-मजदूरों से जुड़ी विभिन्न मांगों को लेकर हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे भ्रामक हैं।



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The nationwide protest of CPIM has nothing to do with the India-China border dispute.

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