देश में कोरोना के मरीज बढ़ने के साथ टेस्टिंग भी बढ़ी है।इस सबके बीच जो सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है कोरोना जांच की गलत रिपोर्ट। देश में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें निगेटिव रिपोर्ट वाले को पॉजिटिव बता दिया गया। यही नहीं, साढ़े चार हजार रुपए देकर प्राइवेट क्लीनिक में टेस्ट करवाने के बावजूद लोगों को उनकी रिपोर्ट नहीं मिल रही।

ऐसा ही एक मामला मुंबई का है। एक परिवार ने 12 लोगों की जांच के लिए 36 हजार रुपए निजी लैब में भरे लेकिन उन्हें आज तक रिपोर्ट नहीं मिली। बस फोन पर कहा गया कि आपकी फैमिली के 6 लोग कोरोना पॉजिटिव थे। हालांकि इनमें से किसी में कोरोना का एक भी लक्षण नहीं था और सभी स्वस्थहैं औरक्वारैंटाइन पीरियड भी पूरा कर चुके हैं।

वहीं, दूसरे मामले में एक प्राइवेट लैब ने जिस व्यक्ति को पॉजिटिव बताया, दूसरी जगह से टेस्ट करवाने पर वह निगेटिव निकला। इस दौरान उसे जो तनाव झेलना पड़ा उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

अब्बू चल बसे लेकिन हमें अब तक नहीं पता कि उन्हें कोरोना था भी या नहीं...

मुंबई के मुंब्रा में रहने वाले समीर खान ने बताया किमेरे अब्बू (सलीम खान) का हफ्ते में तीन बार डायलिसिस कराना होता था। 1 मई को हमेशा की तरह सेंटर पर डायलिसिस करवाने गए थे, वहां सभी मरीजों का टेम्प्रेचर चेक किया जा रहा था, अब्बू का भी किया गया।
टेम्प्रेचर सामान्य से ज्यादा आया तो डॉक्टर ने कहा कि अगली बार डायलिसिस के लिए आने से पहले कोरोना का टेस्ट करवा लेना। यदि नहीं करवाया तो डायलिसिस नहीं करेंगे।
उन्होंने शिवाजी हॉस्पिटल में टेस्ट करवाने की पर्ची बनाई थी। हमने 4 मई को टेस्ट करवाया लेकिन उसी दिन अब्बू की मौत हो गई।

पहले हफ्ते में उनका तीन बार डायलिसिस होता था लेकिन कोरोना के चलते पिछले तीन-चार महीनों से 2 बार ही बमुश्किल हो पा रहा था। उनकी मौत होते ही पूरी कॉलोनी में ये अफवाह उड़ गई की अब्बू की मौत कोरोना से हुई है।

बिना रिपोर्ट के पॉजिटिव बता दिया
7 मई को थाने से कुछ पुलिसकर्मी आए और उन्होंने कहा कि तुम सब कोरोना पॉजिटिव हो इसलिए तुम्हें क्वारैंटीन होना होगा। हमने कहा कि हमारी तो जांच नहीं हुई और अब्बू की रिपोर्ट अभी तक हमें मिली ही नहीं।
इसके बावजूद वो लोग हमें थाने लेकर चले गए। वहां मौजूद डॉक्टर ने रिपोर्ट के बारे में पूछा। उन्हें बताया कि अब्बू की रिपोर्ट तो अभी मिली ही नहीं और हमारा टेस्ट नहीं हुआ तो उन्होंने हमें वापस घर भिजवा दिया।
चार-पांच दिन बाद फिर पुलिसकर्मी घर आए तो हमने उन्हें कहा कि अभी तक हमारी जांच नहीं हुई है। हम प्राइवेट लैब में जांच करवा लेते हैं इसके बादआपके साथ जाएंगे।
10 मई को हमने एक प्राइवेट लैब में जांच करवाई और 11 मई को उन्होंने हमें फोन पर बताया कि 12 में से 6 सदस्य की रिपोर्टपॉजिटिव हैऔर बाकी की निगेटिव। हमने 36 हजार रुपए जांच के लिए दिए थे। हमें यह सुनकर हैरत हुई क्योंकि हम तो एक ही घर में सब रह रहे थे। एक साथ खाना-पीना सब चल रहा था। फिर ऐसा कैसे हुआ। तो हमने उनसे रिपोर्ट ईमेल करने को कहा तो उन्होंने रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया और फोन रख दिया।
फिर थाने से लोग आए और जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव थी, उन्हें क्वारैंटाइन सेंटर ले गए। हम भी बहुत टेंशन में आ गए थे। अब्बू गुजर गए थे। इसलिए भी डर बहुत ज्यादा था।

हमें मलेरिया की दवाएं खिला रहे थे
हमें वहां मलेरिया और टाइफाइड की दवाएं दी गईं। मैंने अपने फैमिली डॉक्टर को फोन पर दवाई का फोटो भेजा था तो उन्होंने बताया कि ये तो मलेरिया की दवाई हैं।
हम में से किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं थे। बुखार तक नहीं था। सब एक साथ थे। 11 मई की रात हमें क्वारैंटाइन सेंटर ले जाया गया था। 19 मई को हमें कहदिया गया कि अब आप लोग ठीक हो गए, कल सुबह घर चले जाना और 14 दिनों तक घर में ही रहना। हमने ऐसा ही किया।

दो-दो बार जांच हुई ,लेकिन हमें कोरोना की रिपोर्ट एक बार भी देखने को नहीं मिला। किसी में कोई लक्षण नहीं। 8 दिन सेंटर पर रखा और छोड़ दिया। अब्बू की रिपोर्ट हमें अभी तक भी नहीं मिली। यदि हमें कोरोना होता तो किसी की तो तबियत खराब होती। किसी को तो बुखार आता। किसी के साथ भी ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट देखी ही नहीं। अब पता नहीं हमें क्वारैंटाइन क्यों किया गया।

मुझे नींद आना बंद हो गई थी, टेंशन ने पांच किलो वजन कम कर दिया

वंदना कहती हैं, एक गलत रिपोर्ट के चलते मुझे कितनी मानसिक समस्या झेलना पड़ी, मैं बता भी नहीं सकती।

मुंबई की एडवोकेट वंदना शाह ने बताया कि, मुझे अपनी एक छोटी सी सर्जरी करवानी थी। डॉक्टर ने कहा कि सर्जरी के पहले कोरोना टेस्ट करवा लीजिए। डॉक्टर के कहने पर मैंने एक प्राइवेट लैब में साढ़े चार हजार रुपए देकर कोरोना टेस्ट करवाया। 13 मई को सैंपल दिया था। लैब ने कहा था कि 24 से 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट ईमेल पर भेज देंगे। लेकिन उन्होंने रिपोर्ट भेजी नहीं।

15 मई को कोरोना पॉजिटिव होने का पता चला
15 मई को उन्होंने बीएमसी को बताया कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूंजबकि मेरी तबियत खराब नहीं थी। इसी बीच बीएमएसी वाले मेरे घर आ गए। उन्होंने घर को सील कर दिया। न दूध, न सब्जी, न दवाई। सब एकदम से बंद हो गया।
17 मई को मुझे ईमेल पर कोरोना की रिपोर्ट मिली। इसमें टेस्ट की तारीख भी गलत लिखी थी, समय भी गलत था और रिपोर्ट 5 दिन बाद दी गई थी। मुझे कोरोना के कोई लक्षण भी नहीं थे इसलिए मुझे रिपोर्ट पर ही शक हुआ।
इसी बीच मेरी पूरी लाइन में यह बात फैल गई और लोग कहने लगे कि इन्हें क्वारैंटाइन सेंटर भेज दीजिए, वरना यहां खतरा हो सकता है। मैं बहुत टेंशन में आ गई। पति और बच्चे से दूरी बना ली। मुझे नींद आना बंद हो गई। रात-रातभर जाग रही थी।

गलत रिपोर्ट के लिए लैब को 99 लाख रुपए हर्जाने का नोटिस भेजा
मुझे रिपोर्ट पर शक था तो मैंने पांच दिन बाद ही दोबारा टेस्ट करवाया। इस बार मैंने बीएमसी के जरिए सरकारी लैब में जांच करवाई तो रिपोर्ट निगेटिव आई। मैंने गलत रिपोर्ट देने वाली एसआरएल लैब को 99 लाख रुपए हर्जाने का नोटिस भेजा है। इनकी एक गलत रिपोर्ट के कारण मैं किस हालात से गुजरी हूं, यह बता भी नहीं सकती।

बच्चे से बेवजह अलग रहना पड़ रहा

रवि कहते हैं बच्चे से बिना वजह इतने दिनों तक हमें अलग रहना पड़ा।

राजस्थान के भरतपुर में रहने वाले रवि कुमार ने बताया कि, मेरी मां को यूरिन इंफेक्शन था। हम उन्हें मणिपाल हॉस्पिटल लेकर गए। वहां कोरोना टेस्ट हुआ तो उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।इसके बाद 29 मई को मेरी, पत्नी और मेरे साढ़े चार साल के बच्चे की जांच भी की गई। 3 जून को हमारी रिपोर्ट आई। इसमें पत्नी और मैं तो निगेटिव आए लेकिन बच्चे को पॉजिटिव बताया गया।

जब मैंने रिपोर्ट देखी तो उसमें बच्चे की उम्र 45 साल लिखी थी। नाम जलेश के बजाए गणेश लिखा था। मुझे रिपोर्ट पर शक हुआ। बच्चे में किसी तरह के कोरोना के लक्षण भी नहीं थे। पूरी तरह से स्वस्थ था।
उन्होंने बच्चे को घर में ही आइसोलेट कर दिया। मेरामन नहीं माना तो मैंने 7 जून को फिर बच्चे की जांच करवाई तो रिपोर्ट नेगेटिव आई। तब जाकर कहीं मेरी जान में जान आई।

इन्होंने गलत रिपोर्ट के आधार पर बच्चे को होम आईसोलेट कर दिया। इस दौरान पत्नी और मैं कितना टेंशन में आ गए थे, यह किसी को बताना भी मुश्किल है। हम दोनों दिनरात बच्चे बारे में ही सोचते रहते थे। उसके पास भी नहीं जा पा रहे थे। जबकि वो पूरी तरह स्वस्थनजर आ रहा था।

रवि के माता-पिता इन दिनों घर में ही आइसोलेशन में हैं। सब अलग-अलग कमरों में रहते हैं।

अब मम्मी भी घर आ चुकी हैं। वो अलग कमरे में हैं। मैं और पत्नी अलग कमरे में हैं। बच्चे को उन लोगों ने 16 जून तक अलग कमरे में रखने का बोला था, रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है फिर भी हम कल तक उसे अलग रख रहे हैं क्योंकि मन में तरह-तरह के सवाल आ रहे हैं।

पापा अलग कमरे में हैं। एक गलत रिपोर्ट ने मानसिक तौर पर इतना परेशान कर दिया कि शब्दों में इस बारे में क्या कहूं, समझ ही नहीं आता।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Mumbai Rajasthan Coronavirus Testing Scam / Latest News Updates; Lawyer Sent Legal Notice to Private Lab for COVID Reports and Quarantine Center

https://ift.tt/3d8ySbA

Post a Comment

Previous Post Next Post