आखिर वो घड़ी भी आई गई, जिसका लंबे वक्त से इंतजार था। अंतरिक्ष की सैर के लिए सरकारी प्रभुत्व खत्म करते हुए अमेरिका की निजी कंपनी स्पेस एक्स के बनाए रॉकेट के सहारे नासा के अंतरिक्ष यात्री बॉब बेनकेन और डग हर्ली अंतरिक्ष जा रहे हैं। दोनों फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस एक्स के नए क्रू ड्रैगन कैप्सूल में बैठे।

यह वही जगह है, जहां से नील आर्मस्ट्रांग अपोलो के क्रू सदस्यों के साथ चांद की ऐतिहासिक यात्रा पर गए थे। एक दशक बाद यह पहला मौका है, जब अमेरिका का रॉकेट अपनी ही जमीं से उड़ान पर जा रहा है। कोरोना महामारी के बावजूद यह यात्रा निर्धारित समय पर शुरू हो रही है।

अमेरिकी अंतरिक्ष अभियानों को रूस की उड़ानों का सहारा लेना पड़ा

अमेरिका ने 2011 में यान भेजने बंद कर दिए थे। इसके बाद अमेरिकी अंतरिक्ष अभियानों को रूस की उड़ानों का सहारा लेना पड़ा। इसका खर्च लगातार बढ़ता जा रहा था। इसके बाद नासा ने स्पेस एक्स को बड़ी आर्थिक मदद देकर अंतरिक्ष मिशन के लिए मंजूरी दी। एलन मस्क की इस कंपनी ने 2012 में पहली बार अंतरिक्ष में अपना कैप्सूल भेजा।

इस कैप्सूल के छह बार अंतरिक्ष में जाने की उम्मीद है

यह रॉकेट 20 बार अंतरिक्ष स्टेशन तक सामान पहुंचा चुका है।पहली बार इंसानों को लेकर जा रहा है। इस कैप्सूल के छह बार अंतरिक्ष में जाने की उम्मीद है। यह कंपनी पूरी दुनिया में तेज रफ्तार इंटरनेट का जाल बिछाना चाहती है और इसके लिए उसने सैकड़ों की तादाद में छोटे छोटे उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में भेजे हैं।

12 दिन अंतरिक्ष में रहकर 16 सूर्योदय देखेंगे, 71-71 करोड़ रु. दिए
कोरोनावायरस के संक्रमण के बीच दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को यात्रा से पहले 15 दिनों तक क्वारेैंटाइन में रखा गया है। दोनों यात्री 12 दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे। इसके लिए दोनों ने 71-71 करोड़ रु. खर्च किए हैं। इस दौरान वे 16 सूर्योदय देख सकेंगे।



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यह वही जगह है, जहां से नील आर्मस्ट्रांग अपोलो के क्रू सदस्यों के साथ चांद की ऐतिहासिक यात्रा पर गए थे।

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